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135 ग्राम पंचायतों में आयोजित हुईं कृषक गोष्ठी, 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025

135 ग्राम पंचायतों में आयोजित हुईं कृषक गोष्ठी, 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025

वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। प्रदेश में खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों से सम्बन्धित आधुनिक कृषि तकनीकों एवं जलवायु परिवर्तन प्रभावरोधी कृषि पद्धतियों की जानकारी कृषकों को प्रदान करने के उद्देश्य से शासन के निर्देश पर 29 मई 2025 से 12 जून 2025 के मध्य संचालित होने वाले विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025 के अन्तिम दिन 09 ग्राम पंचायतों विकास खण्ड चित्तौरा की ग्राम पंचायत बरई विलासा, परसौरा, कल्पीपारा, बहादुरचक, सिसैयाचक, ताजखुदाई तथा रिसिया की ग्राम पंचायत परसाखरगमन, समोखन, परसपुर आयोजित कृषक गोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों को फसल उत्पादन तकनीक तथा योजनाओं की जानकारी प्रदान की गई।

ग्राम पंचायत कल्पीपारा में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने खरीफ फसलों में फसल सुख्क्षा पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा कृषि वैज्ञानिक चले गांव की ओर की थीम के तहत विकसित कृषि संकल्प अभियान के अन्तर्गत पिछले 15 दिवसों में 135 ग्रामों में कृषि तकनीक प्रसार का आयोजन किया गया। कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रियन्का सिंह ने मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों के उपयोग की सलाह दी गई।

ग्राम पंचायत बहादुरचक, सिसैवाचक एवं ताजखुदाई में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. नन्दन सिंह एवं डॉ. अरुण कुमार राजभर ने कृषकों को प्राकृतिक खेती करने की सलाह दी तथा कृषि तकनीक अपनाकर खेती किसानी से आय वृद्धि करने के तरीके बताये। कृषि विज्ञान केन्द्र नानपारा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उमेश कुमार, डॉ. पी.के. सिंह, सुनील कुमार, डॉ. संदीप गौतम ने विकास खण्ड रिसिया की ग्राम पंचायत परसाखरगमन् समोखन एवं परसपुर में किसानों को कृषि तकनीकी की जानकारी देते हुए प्राकृतिक खेती करने तथा मृदा नमूना के आधार पर ही फसलों में उर्वरकों के प्रयोग की सलाह दी। ग्राम पंचायत बरईविलासा में जिला कृषि अधिकारी डॉ. सूबेदार यादव ने किसानों को नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का अधिक से अधिक प्रयोग करने की सलाह दी।

उप निदेशक कृषि विनय कुमार वर्मा ने बताया कि विकसित कृषि संकल्प अभियान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यही है अनुसंधान से प्राप्त तकनीक का कृषक उपयोग करके अपनी आय बेहतर करें। श्री वर्मा ने नेचुरल फार्मिंग तथा गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के बेहतर विकल्प को अपनाने पर बल दिया। सहायक निदेशक रेशम एम.के. सिंह ने रेशम की खेती से आय वृद्धि के तरीके बताते हुए कहा कि इच्छुक कृषकों रेशम पौध उपलब्ध कराया जायेगा। श्री सिंह ने बताया कि 01 एकड़ रेशम की खेती से रू. 5.00 लाख तक की आय अर्जित की जा सकती है। इस अवसर पर वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप ए सुधाकर शुक्ला, वरिष्ठ प्राविधिक सहायक ग्रुप-बी गणेश दत्त शर्मा सहित बड़ी संख्या में  कृषकगण उपस्थित रहें।

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