Books in library

जानिए पौष पूर्णिमा पर कौन-कौन से काम किए जा सकते हैं…

13 जनवरी यानी कल है पौष पूर्णिमा: 

इस साल पौष पूर्णिमा के एक दिन बाद मनेगी मकर संक्रांति, नदी स्नान के साथ ही दान-पुण्य जरूर करें

13 जनवरी को पौष पूर्णिमा है। आमतौर पर पौष मास में ही मकर संक्रांति है, लेकिन इस साल पौष मास के एक दिन बाद मकर संक्रांति मनाई जाएगी। पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व काफी अधिक है। इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ भी शुरू हो रहा है। पौष पूर्णिमा की सुबह खासतौर पर नदी स्नान और दान-पुण्य किया जाता है।

जानिए पौष पूर्णिमा पर कौन-कौन से काम किए जा सकते हैं…

पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति पर भक्त गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। पुराणों में बताया गया है कि पौष पूर्णिमा पर किए गए नदी स्नान से पापों का नाश होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसी दिन से माघ मास के स्नान भी शुरू हो जाते हैं।

नदी स्नान के बाद नदी किनारे या अपने घर के आसपास या किसी मंदिर के आसपास जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र, तिल और गुड़ का दान करना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि इस पूर्णिमा पर किए गए दान से आम दिनों की अपेक्षा सौ गुना ज्यादा पुण्य फल मिलता है।

पौष मास की पूर्णिमा पर सूर्य की पूजा जरूर करनी चाहिए, क्योंकि इस पूरे मास में सूर्य पूजा करने की परंपरा है। पौष मास की अंतिम तिथि पर सूर्य को अर्घ्य दें। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें और ऊँ सूर्याय नम: बोलते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं। विष्णु पुराण और ब्रह्मवैवर्तपुराण में लिखा है कि सूर्य पूजा से भक्त को सुख, शांति और सफलता मिलती है।

पौष पूर्णिमा पर अपने समय के अनुसार ग्रंथों का पाठ करें। मंत्रों का जप करें। किसी संत की कथा सुन सकते हैं।

पूर्णिमा पर भगवान शिव का विशेष अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाएं।

पूर्णिमा की शाम चंद्र उदय के बाद चंद्रदेव को दूध और जल से अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। इसके लिए चांदी या मिट्टी के कलश का इस्तेमाल करें। अर्घ्य चढ़ाते समय ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें।

इस पूर्णिमा पर पानी में तिल मिलाकर स्नान करने की भी परंपरा है। इस दिन भगवान को गुड़-तिल का भोग लगाएं। पूजा के बाद तिल-गुड़ का सेवन करें और दान करें।

इस दिन गौसेवा करने की परंपरा है। किसी गौशाला में गायों की देखभाल करें। गायों को हरी घास खिलाएं। गौशाला में धन का दान करें।

पौष पूर्णिमा पर देवी अन्नपूर्णा की भी पूजा करें, अन्नपूर्णा माता से प्रार्थना करनी चाहिए कि घर-परिवार में धन-धान्य की कमी न हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *