कारीकोट को मिला अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानदृपर्यटन का मॉडल गाँव बना उत्तर प्रदेश का गौरव
13 सितम्बर को सीडीओ, ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सचिव होंगे सम्मानित
वीरेन्द्र कुमार राव, बहराइच। उत्तर प्रदेश पर्यटन के ग्रामीण पर्यटन अभियान के अंतर्गत विकसित हो रहा “विज़िट कारीकोट” अभियान अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रहा है। कारीकोट गाँव को वर्ष 2025 के लिए प्रतिष्ठित आईसीआरटी इण्डिया सबकान्टिनेंट अवार्ड्स 2025 अन्तर्गत ‘‘पीस एण्ड अंडरस्टैंडिंग’’ (शांति एवं आपसी समझ) श्रेणी में सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार आगामी 13 सितम्बर, 2025 को बी.एल.टी.एम. द्वारिका, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में मुख्य विकास अधिकारी मुकेश चन्द्र एवं ग्राम प्रधान तथा ग्राम पंचायत सचिव को प्रदान किया जाएगा।
भारत-नेपाल सीमा तथा कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण के समीप स्थित कारीकोट ग्राम ने सामुदायिक नेतृत्व के माध्यम से पर्यटन को शांति, सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक विविधता और पर्यावरणीय संतुलन का साधन बनाया है। यहाँ थारू समुदाय, हिन्दू, सिख और मुस्लिम परिवार मिलकर ग्रामीण पर्यटन को समावेशी और सतत रूप दे रहे हैं।
ग्राम कारीकोट को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ग्रामीण होमस्टे व फार्मस्टे को बढ़ावा देकर महिलाओं व युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना। वन्यजीव पर्यटन व बॉर्डर टूरिज्म के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षित कर आजीविका और जागरूकता के अवसर तथा प्राकृतिक खेती और लोक उत्सवों से गाँव की पारंपरिक जीवनशैली के संरक्षण जैसी शुरूआती पहल से न केवल ग्रामीण आजीविका को नया आयाम दिया है बल्कि कारीकोट को भारत में सामुदायिक आधारित पर्यटन का आदर्श मॉडल बना दिया है।
कारीकोट के पूर्व प्रधान एवं ग्राम सुधारक केशव राम का कहना है कि “हम कॅरिकोट को एक समावेशी और सतत ग्रामीण गंतव्य बनाएँगे, जहाँ ग्रामीण होमस्टे, वन्यजीव पर्यटन, सीमा पर्यटन, प्राकृतिक खेती व फार्मस्टे को बढ़ावा दिया जाएगा। थारू जीवनशैली का उत्सव मनाया जाएगा और हिन्दू, थारू, सिख तथा मुस्लिम समुदायों का सहअस्तित्व एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करेगा।” वहीं विज़िट कारीकोट अभियान के परियोजना क्यूरेटर अनन्त प्रसाद का कहना है कि “कारीकोट उत्तर प्रदेश पर्यटन के विशाल ग्रामीण पर्यटन अभियान का ध्वजवाहक बनने जा रहा है और सामुदायिक आधारित पर्यटन का एक आदर्श मॉडल सम्पूर्ण भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
उत्तर प्रदेश की सरकार का उद्देश्य है कि ग्रामीण पर्यटन को प्रदेश की नई पहचान बनाया जाए। सरकार का मानना है कि गाँव केवल कृषि और परंपराओं के केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक समरसता के जीवंत प्रतीक हैं। इसी सोच के साथ चरणबद्ध तरीके से चलाए जा रहे ग्रामीण पर्यटन अभियान के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न गाँवों को “आकर्षण के नए केंद्र” के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहाँ पर्यटक न केवल प्रकृति और परंपराओं से जुड़ सकें बल्कि स्थानीय युवाओं और महिलाओं को भी रोजगार और आजीविका के अवसर प्राप्त हों।
यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि जब समुदाय नेतृत्व करता है और पर्यटन साधन बनता है, तब गाँव न केवल बदलते हैं बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय पहचान भी हासिल करते हैं।
