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रात 10 से 12 बजे तक लगाए जा रहे शिविर, पहले दिन 960 रक्त नमूने लिए गए

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनपद में नाइट ब्लड सर्वे शुरू

रात 10 से 12 बजे तक लगाए जा रहे शिविर, पहले दिन 960 रक्त नमूने लिए गए

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनपद में नाइट ब्लड सर्वे शुरू

वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की समय रहते पहचान और उन्मूलन के उद्देश्य से जनपद में सोमवार की रात से नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत की गई। अभियान के पहले दिन विभिन्न क्षेत्रों से 20 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुषों और महिलाओं के कुल 960  रक्त नमूने लिए गए। यह सर्वे रात्रि 10 बजे से लेकर मध्यरात्रि तक उन चिन्हित क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां संक्रमण की आशंका अधिक पाई गई है।

सीएमओ डॉ. संजय शर्मा  ने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है, जो संक्रमित मच्छरों के माध्यम से एक दूसरे में फैलती है। “इसका सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि मरीज को 10 से 15 वर्षों तक बीमारी का पता ही नहीं चलता — और तब तक काफी देर हो चुकी होती है।

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया जनित माइक्रोफाइलेरिया परजीवी रात के समय रक्त में अधिक सक्रिय रहते हैं, इसलिए सर्वे रात्रिकालीन समय में ही किया जाता है। इसका उद्देश्य है कि संक्रमित व्यक्तियों को समय रहते चिन्हित कर उचित इलाज और रोकथाम की रणनीति तैयार की जा सके।

वीवीडी नोडल व एसीएमओ डॉ. राजेश कुमार ने जानकारी दी कि यह सर्वेक्षण 26 मई से 31 मई तक चलेगा। जिले के अर्बन क्षेत्र सहित सभी ब्लॉकों में एक संवेदनशील और एक रैंडम क्षेत्र चयनित किया गया है। हर क्षेत्र से 300 स्लाइड, यानी कुल 9600 स्लाइड तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 16 विशेष टीमों का गठन किया गया है, जिनमें प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन, बीएचडब्ल्यू, लैब असिस्टेंट, हेल्थ सुपरवाइजर और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं। संबंधित क्षेत्रों की आशा कार्यकर्ताओं को लोगों को शिविर स्थल तक लाने की जिम्मेदारी दी गई है।

फाइलेरिया निरीक्षक विमल कुमार ने बताया, “नाइट ब्लड सर्वे फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की रीढ़ की हड्डी है। इससे यह पता चलता है कि किन क्षेत्रों में संक्रमण की आशंका अधिक है। इसी आधार पर आगामी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (सर्व दवा सेवन) अभियान की रणनीति बनाई जातीत है।” उन्होंने बताया जांच रिपोर्ट में जिन व्यक्तियों में माइक्रोफाइलेरिया की पुष्टि होती है, उन्हें तुरंत दवा के माध्यम से उपचारित किया जाता है,, साथ ही उनके परिजनों और संपर्क में आए अन्य लोगों की भी स्क्रीनिंग व टेस्टिंग की जाती है।

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