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डीजीपी साहब बहराइच पुलिस अपराधियों से करती है वसूली 

डीजीपी साहब बहराइच पुलिस अपराधियों से करती है वसूली 

झूठ को सच और सच को झूठ बनाने में माहिर बहराइच पुलिस

पूर्व में भी किए गए बड़े बड़े खेल

वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। बहराइच सच को झूठ और झूठ को सच बनाने में माहिर बहराइच पुलिस द्वारा अपनी महारत को आगे बढ़ाने में एक और उपलब्धि हासिल करते हुए एक और झूठी रिपोर्ट की खिचड़ी बनाकर पब्लिक के सामने परोसकर वाहवाही लूटने का भरसक प्रयास किया गया। पुलिस द्वारा किए गए खुलासे  में बताया गया कि पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में पुलिस उपाधीक्षक, क्षेत्राधिकार नगर के पर्यवेक्षण व प्रभारी निरीक्षक नगर कोतवाली के सानिध्य में दिनांक 29.01.025 को उप निरीक्षक अरुण कुमार गौतम हेड कांस्टेबल विजय प्रताप वर्मा, हेड कांस्टेबल अभिलाख सिंह, हेड कांस्टेबल अमित नायक व कांस्टेबल सत्यवान यादव द्वारा मोहल्ला बशीरगंज में कर्बला के सामने से अभियुक्त जीशान पुत्र मुन्ना उम्र लगभग 25 वर्ष निवासी मंसूरगंज थाना दरगाह शरीफ के पास से 45 ग्राम स्मैक बरामद किया गया।

जिस संबंध में उप निरीक्षक अरुण कुमार गौतम द्वारा थाना दरगाह शरीफ में मु.अप.संख्या 15/2025 धारा 8/ 21 एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा पंजीकृत कराया गया। जिसमें विधिक कार्रवाई प्रचलित दिखाकर हमेशा की तरह बड़ी आसानी से एक बार फिर हकीकत पर पर्दा डालकर खुद के गुनाहों को छिपा लिया गया। जबकि विश्वसनीय सूत्रों की माने तो नगर कोतवाली का उक्त मामले में कोई योगदान था ही नहीं। बल्कि एसओजी इंचार्ज दिवाकर तिवारी द्वारा उक्त संवेदनशील मामले को लेकर मोहल्ला मंसूरगंज निवासी हकीम घोसी नामक युवक की कई दिनों से रेकी की जा रही थी जिसे दिनांक 29 नहीं बल्कि दिनांक 28 को दिन में श्री दिवाकर व उनके अधीनस्थों द्वारा मोहल्ला ब्राह्मणीपुरा से दबोचकर बड़ी कामयाबी हासिल की गई थी। लेकिन श्री दिवाकर की उक्त उपलब्धि पर उन्हें इनाम देने के बजाय स्थानीय पुलिस द्वारा चंद रुपयों के लालच में बड़ा खेल कर हकीम घोसी की जगह उसके भतीजे जीशान को बुलवाकर उसे जबरिया अभियुक्त बनाते हुवे स्मैक के बड़े कारोबारी और अकूत जायदाद के मालिक हकीम को साफ_साफ बचा लिया गया। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो हकीम को बचाने के लिए पुलिस द्वारा लाखों का सौदा किया गया है।

सूत्र यह भी बताते हैं कि इससे पूर्व भी स्मैक के बड़े कारोबारी सादिक अली के पकड़े जाने पर भी लाखों रुपए के लेनदेन की बात सामने आई थी।यही नहीं बल्कि सूत्रों की माने तो पूर्व में  बहराइच के नाजिरपुरा मोहल्ले में पुलिस द्वारा पकड़े गए एक बड़े जुवे में भी लाखों रुपयों के लेनदेन की बात बताई गई थी। जिसमें एक जुआरी शानू की मौत भी हो गई थी। लेकिन उसी दरम्यान महराजगंज में हुई धार्मिक हिंसा के कारण  मामले को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया गया। और पुलिस द्वारा मात्र चालीस_पचास हजार रुपयों का ही खुलासा कर मामले का इतिश्री कर दी गई।आखिर स्थानीय पुलिस द्वारा अपराधियों से लगातार किए जा रहे अवैध वसूली का खेल सरकारी वर्दी के नाम पर कब तक किया जाता रहेगा?

अब देखना ये भी दिलचस्प होगा कि पुलिस अधीक्षक बहराइच के साथ_साथ डीजीपी उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा उक्त संवेदनशील खुलासे में विभाग को बचाने का काम किया जाता है या फिर मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस की पद्धति को अपनाकर पब्लिक के सामने अपनी विश्वसनीयता को बरकरार रखा जाता है? इसके लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा।

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