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मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर किशोरियों ने सीखी माहवारी स्वच्छता की बारीकियाँ

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर किशोरियों ने सीखी माहवारी स्वच्छता की बारीकियाँ

मनोदशा से जुड़े पहलुओं पर भी हुआ संवाद

वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। जनपद के सभी उपकेन्द्रों पर मंगलवार को “एक साथ मिलकर पीरियड फ़्रेंडली वर्ल्ड बनाएं” थीम पर “मासिक धर्म स्वच्छता दिवस” मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित विशेष जागरूकता कार्यक्रमों में किशोरियों को मासिक धर्म से जुड़ी स्वच्छता, भ्रांतियों और मानसिक स्वास्थ्य पहलुओं की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में ममता फाउंडेशन और आगा खान फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने भी सहयोग किया।

तेजवापुर ब्लॉक के डूडैला उपकेन्द्र पर आयोजित कार्यक्रम में ‘माहवारी लूडो’ और ‘भ्रांति क्रांति’ जैसी नवाचारी खेल गतिविधियाँ आयोजित की गई। इसके ज़रिए किशोरियों ने मासिक धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ रोचक तरीके से सीखी। इन खेलों के माध्यम से उन्होंने हरी सब्जियाँ, मौसमी फल, दालें और गुड़ जैसे पौष्टिक आहार के फायदे भी सीखे। कार्यक्रम में बेहतर प्रदर्शन करने वाली किशोरियों को पुरस्कार भी दिए गए, जिससे प्रतिभागियों में उत्साह और आत्मविश्वास देखने को मिला।”

सुरक्षित उत्पादों पर ज़ोर-
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने किशोरियों को माहवारी के दौरान उपयोग होने वाले उत्पादों के सुरक्षित इस्तेमाल, निस्तारण और पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में बताया। खासतौर पर दोबारा इस्तेमाल के लिए सूती कपड़े को धोकर धूप में सुखाने की सलाह दी गई।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य के जिला सलाहकार राकेश गुप्ता ने कहा कि सेनेटरी नैपकिन भी एक सुरक्षित और बेहतर विकल्प हैं। जो किशोरी सुरक्षा योजना के तहत कक्षा 6 से 12 तक की छात्राओं को सरकारी स्कूलों में मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है, इसके लिए नोडल टीचर या प्रधानाचार्य से संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा ये नैपकिन स्थानीय मेडिकल स्टोर्स, जन औषधि केंद्रों और ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।

यह हैं माहवारी उत्पाद-
• सैनेटरी पैड
• पीरियड पैंटीज
• टैम्पोन
• मेंस्ट्रुअल कप (सिलिकॉन से बना कप, रक्त इकट्ठा करता है)
• स्वच्छ सूती कपड़ा

प्री-पीरियड डिस्फोरिया: चुपचाप झेलने की नहीं, समझने और साझा करने की जरूरत-
एसीएमओ डॉ संतोष राना ने किशोरियों में तेजी से उभर रही मानसिक स्थिति प्री-पीरियड डिस्फोरिया (पीरियड एंग्जायटी) की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि माहवारी से पहले कई किशोरियों में अवसाद, चिड़चिड़ापन, घबराहट, अनिद्रा और आत्मविश्वास में कमी जैसे लक्षण दिखते हैं, जो पीरियड शुरू होते ही खत्म हो जाते हैं। यह स्थिति प्रायः चिंतनशील या तनावग्रस्त किशोरियों में पाई जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि गंभीर लक्षण होने पर चिकित्सक परामर्श ज़रूरी है।

समाज को चाहिए पीरियड-फ्रेंडली सोच-

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि माहवारी से जुड़े भ्रम और संकोच दूर करना जरूरी है। इसके लिए हर गाँव, परिवार, स्कूल और कार्यस्थल को ऐसा पीरियड-फ्रेंडली माहौल देना होगा, जहाँ किशोरियाँ बिना झिझक बात कर सकें और आवश्यक सहयोग प्राप्त कर सकें।”

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