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नवाचार के माध्यम से गौशालाओं को स्वावलम्बी बनाया जाय : गोसेवा आयोग

नवाचार के माध्यम से गौशालाओं को स्वावलम्बी बनाया जाय : गोसेवा आयोग

वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। गो संरक्षण एवं अनुश्रवण समिति के अधिकारियों/पदाधिकारियों के साथ तहसील सदर बहराइच के सभागार में आयोजित बैठक के दौरान मा. सदस्य उ.प्र. गोसेवा आयोग श्री रमाकान्त उपाध्याय ने निर्देश दिया कि जनपद में संचालित समस्त गौशाला को सोलर पैनल से आच्छादित किया जाय ताकि विद्युत आपूर्ति बाधित होने के कारण संरक्षित पशुओं के लिए चारे पानी की असुविधा न होने पाये। मा. सदस्य ने कहा कि गौ आश्रय स्थलों में व्यापक स्तर पर गोबर गैस प्लान्ट की स्थापना की जाय ताकि वहां पर उत्सर्जित गोबर का सदुपयोग हो सके। श्री उपाध्याय ने जिले में संचालित गो आश्रय स्थलों में बाउण्ड्रीवाल की समुचित व्यवस्था कराये जाने के निर्देश दिये ताकि संरक्षित गोवंश पूरी तरह से सुरक्षित रह सकें।

मा. सदस्य ने जिले के अधिकारियों से कहा कि गौशालाओं में भूमि की उपलब्धता को मद्देनज़र रखते हुए अधिक से अधिक छांवदार वृक्ष लगाये जायें जिससे गोवंश किसी भी दशा में सीधी धूप के सम्पर्क न रहने पायें। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए पशुओं के लिए छांव के वैकल्पिक प्रबन्ध भी सुनिश्चित करें। मा. सदस्य ने सुझाव दिया कि सभी गौशालाओं में मादा व नर पशुओं के लिए अलग अलग शेड बनाया जाय तथा इस बात के भी प्रबन्ध किये जायें कि बीमार पशु को दूसरे स्वस्थ पशु से अलग रखा जा सके। श्री उपाध्याय ने निर्देश दिया कि संरक्षित पशुओं को प्रत्येक दशा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाय तथा प्रत्येक 15 दिवस पर प्याऊ की चूने से पुताई भी की जाय।

मा. सदस्य ने सभी सम्बन्धित अधिकारियों से कहा कि गौआश्रय स्थलों की साफ-सफाई व्यवस्था बेहतर से बेहतर होनी चाहिए। उन्होंने संरक्षित पशुओं के लिए चारा परोसने का रोस्टर निर्धारित करने का सुझाव दिया। जिससे निर्धारित समय पर पशुओं को चारा मिले। उन्होंने चारे का भी एक निर्धारित मेन्यू तय करने का निर्देश देते हुए कहा कि सभी पशुओं को संतुलित आहार दिया जाय। पशुओं के चारे में चूनी-चोकर, सेंधा नमक, भूसा व हरा चारा को अवश्य शामिल किया जाय। उन्होंने कहा कि हरे चारे के रूप में नेपियर घास, मक्का, बाजरा को शामिल किया जा सकता है।

मा. सदस्य ने सुझाव दिया कि गौशालाओ में उपलब्ध अतिरिक्त भूमि पर हरे चारे की बोआई करायी जाय तथा गौशालाओं को स्वावलम्बी बनाने हेतु नवाचार जैसे गोबर के लटठे, बायोगैस प्लान्ट, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रेरित किया जाय। उन्होंने कहा कि गोबर के सदुपयोग से जहां गौशाला की आय में बढ़ोत्तरी होगी वहीं सस्ता ओर सुलभ ईंधन प्राप्त होने से पेड़ों पर पडने वाले दबाव में कमी आने से यह कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा। सदस्य श्री उपाध्याय ने पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रत्येक 15 दिवस पर गौशालाओं का भ्रमण कर उन्हें शासन द्वारा अनुमन्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएं तथा संरक्षित शत-प्रतिशत गोवंशों की टैगिंग करायी जाय।

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि जनपद में कुल 139 गौशाला संचालित हैं जिसमें 19 कांजी हाउस, 02 कान्हा, 09 वृहद गो संरक्षण केन्द्र तथा 109 अस्थायी गौआश्रय स्थल जनपद में संचालित हैं। जिसमें 34055 गौवंश संरक्षित हैं। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि माह मार्च तक भरणपोषण एवं सहभागिता योजना हेतु फण्ड जनरेट कर पत्रावली निदेशालय प्रेषित की गई है।

इस अवसर पर गंगा समग्र काशी प्रान्त के संगठन मंत्री शुभम तिवारी, जिला विकास अधिकारी राज कुमार, अधि.अधि. नगर पालिका परिषद बहराइच प्रमिता सिंह व नानपारा के रंग बहादुर सिंह, बीडीओ रिसिया सुरेश प्रसाद गौतम, फखरपुर के अजय प्रताप सिंह, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी व पशु चिकित्साधिकारी सहित अन्य सम्बन्धित मौजूद रहे।

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